– हिमांशु द्विवेदी
पेड़ों को कटवाने में वन विभाग की भूमिका संदिग्ध
जिलाधिकारी ने लिया संज्ञान, हरे भरे बाग को काटने से बचाया
हरिद्वार। बागों की के रूप विख्यात कनखल की वाल्मीकि बस्ती के पीछे स्थित बाग में खड़े आम और कटहल के पेड़ों पर वन विभाग की विशेष कृपा दृष्टि के चलते एक बिल्डर ने हरे भरे फलदार आम के बौर वाले हरे पेड़ों पर भी आरी चलवा दी। यह सब जमीन के मालिकों की सहमति से किया गया।

जब सुबह बाग में आरियां चल रही थी तो कनखल के एक बड़े कलमकार के साथ ही बिल्डर की भी मौके स्पष्ट दिखाई दे रही है। वहीं आज सुबह जैसे ही पेड़ों पर आरी चली जागरूक नागरिकों ने पर्यावरण प्रेमी और कर्तव्य निष्ठ जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह को तुरंत कॉल कर पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया गया।

जिलाधिकारी ने तुरंत अपने अधीनस्थ अधिकारियों को मौके पर भेजा। लेकिन वन विभाग के डीएफओ पर तो शायद हरे रंगों का नशा चढ़ा हुआ था, उन्होंने जिलाधिकारी को भी गुमराह करने की कोशिश करते हुए बताया कि बाग के स्वामी को सिर्फ पांच पेड़ काटने की अनुमति दी है। जबकि पर्यावरण प्रेमी वी एस शर्मा ने एक जागरूक नागरिक होने के चलते पूर्व में ही इस हरे भरे बाग को काटने की साजिश की आशंका जताई थी और जिलाधिकारी, डीएफओ और जिलाउद्यान अधिकारी को अलग अलग एक पत्र नवंबर माह 2024 में दे दिया था।
आज पर्यावरण प्रेमी श्री शर्मा की उक्त आशंका को वन विभाग ने अपनी कार्यप्रणाली से सच साबित कर दिया। इस संबंध में जब डीएफओ वैभव सिंह से सरेआम फलदार पेड़ों पर आरी चलाई जा रही है कि शिकायत की गई तो उनका जबाव सुन कर शिकायत कर्ता स्तब्ध रह गया। उन्होंने कहा कि बाग के मालिक को कुछ नया निर्माण करना है इस लिए सिर्फ पांच पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई है, जबकि नियमानुसार फलदार पेड़ों पर जिन पर बौर आ रहा हो उनको काटने की अनुमति नहीं दी जाती। डीएफओ ने बाग मालिक का पक्ष लेते हुए यहां तक कहा कि उन्होंने निर्माण कार्यों के लिए नक्शा भी पास करवा रक्खा है। जबकि बहुमंजिला अपार्टमेंट बनाने के लिए रेरा से अनुमति ली जानी जरूरी है।
डीएफओ से भी अधिक विचित्र तर्क तो जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह के निर्देश पर मौके पर पहुंचे वन विभाग के डिप्टी रेंजर गजेंद्र सिंह ने कहा कि वह मौके पर पहुंच गए हैं और यहाँ पर पेड़ों का एक पत्ता मौके पर मौजूद नहीं हैं, पेड़ों पर बौर की बात तो दूर है। डिप्टी रेंजर श्री सिंह ने बताया कि किसी भी पेड़ पर बौर हो तो उसको काटने की अनुमति किसी भी हालत में नहीं दी जा सकती। खास कर जब पेड़ पर फल आने वाला हो। हां यह अलग बात है कि इनको बीते दिन ही वन विभाग ने पांच पेड़ काटने की अनुमति प्रदान की थी लेकिन बाग मालिक ने तो आम के बौर वाले पेड़ भी कटवा दिए। यह सब किसकी मिली भगत से हुआ है, इसकी जांच भी की जानी चाहिए। जबकि दूसरी ओर वीडियो में चल रही आरी अपने आप में ही सब कुछ बयां कर रही हैं। डीएफओ और रेंजर के अजीबों गरीब तर्क किसी के गले नहीं उत्तर रहें।
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