गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे संस्कृत में “अमृता” और “गुडुची” कहा जाता है। यह बेलनुमा पौधा है, जिसकी पत्तियां दिल के आकार की होती हैं और इसे औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। गिलोय का उपयोग आयुर्वेद में प्राचीन काल से विभिन्न रोगों के उपचार में किया जा रहा है।

1. इम्यूनिटी बढ़ाना: गिलोय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
2. डायबिटीज में फायदेमंद: यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है।
3. ज्वर नाशक: डेंगू, मलेरिया और वायरल बुखार में इसका उपयोग बुखार कम करने के लिए किया जाता है।
4. पाचन सुधारना: यह अपच, गैस और पेट की अन्य समस्याओं को ठीक करता है।
5. डिटॉक्सिफायर: गिलोय रक्त को शुद्ध करता है और त्वचा संबंधी रोगों में लाभकारी है।
6. एंटीऑक्सिडेंट गुण: यह शरीर में मुक्त कणों को कम करता है और एंटी-एजिंग गुण प्रदान करता है।
7. संधि रोगों में उपयोगी: गिलोय जोड़ों के दर्द और सूजन में राहत देता है।
8. तनाव और चिंता: यह मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है और तनाव कम करता है।
गिलोय की ताजी या सूखी डंडी लें। इसे पानी में उबालें और छानकर सेवन करें। यह बुखार और इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक है।
1-2 ग्राम गिलोय पाउडर पानी या दूध के साथ लें।
डायबिटीज और पाचन के लिए यह लाभकारी है।
ताजी गिलोय की डंडियों से रस निकालकर सेवन करें।
यह त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद है।
आयुर्वेदिक दुकानों पर उपलब्ध गिलोय टैबलेट्स को चिकित्सक की सलाह अनुसार लें।
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