
किन्नर अखाड़ा एक अनूठा अखाड़ा है, क्योंकि इसके सदस्य किन्नर या ट्रांसजेंडर समुदाय के तीसरे लिंग हैं। किन्नर अखाड़े का प्रवेश भारतीय संस्कृति की समग्रता का प्रतीक है। लेकिन कुछ अखाड़े इसको मान्यता देने में आनाकानी करते हैं। लेकिन इनको अखाड़े के रूप में मान्यता मिल चुकी है।

जबकि ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को भी समान मान्यता मिलनी चाहिए। अगर देखा जाए तो इस अखाड़े के सदस्य रंग-बिरंगे परिधान पहने, अनुष्ठान और पारंपरिक पूजा-अर्चना कर जब नगर भ्रमण के लिए उतरते हैं तो लोग इनको बहुत शुभ मानते हैं।

महिला पुरुष समान रूप से इनके पैर छूकर इनसे आशीर्वाद लेते हैं। किन्नर अखाड़ा इस बात का प्रमाण है कि आध्यात्मिकता किसी विशेष लिंग या जाति तक सीमित नहीं है, बल्कि एक सार्वभौमिक तथ्य है।
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